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आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा

Tuesday, 7 July 2009

साहित्य - अहमद फ़राज़
संकलन - सजदा
संगीत - जगजीत सिंघ
गायन - लता मंगेश्कर


आँख से दूर न हो दिल से उतर जायेगा ।
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जायेगा ॥

इतना मानूस न हो ख़िल्वत-ए-ग़म से अपनी ।
तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जायेगा ॥१॥

तुम सर-ए-राह-ए-वफ़ा देखते रह जाओगे ।
और वो बाम-ए-रफ़ाक़त से उतर जायेगा ॥२॥

ज़िन्दगी तेरी अता है तो ये जानेवाला ।
तेरी बख़्शीश तेरी दहलीज़ पे धर जायेगा ॥३॥

डूबते डूबते कश्ती तो ओछाला दे दूँ ।
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जायेगा ॥४॥

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़' ।
ज़ालिम अब के भी न रोयेगा तो मर जायेगा ॥५॥

मानूस=familiar,get-too-close
ख़िल्वत-ए-ग़म=sorrow of loneliness
सर-ए-राह-ए-वफ़ा=path of love
बाम-ए-रफ़ाक़त=responsibility towards love
अता=gift
बख़्शीश=donation
दहलीज़=doorstep
ओछाला=upward push
लाज़िम=necessary

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