नटवर नागर नंदा
Tuesday, 7 July 2009
साहित्य-मीराबाई
नटवर नागर नंदा
भजो रे मन गोविंदा |
श्याम सुंदर मुख चंदा
भजो रे मन गोविंदा |
तू ही नटवर, तू ही नागर
तू ही बाल मुकुंदा ॥
सब देवन मे कृष्ण बड़े हैं
जूँ तारा बिच चंदा
सब सखियन मे राधाजी बड़ी है
जूँ नदियाँ बिच गंगा ॥१॥
ध्रुव तारे प्रह्लाद उभारे
नरसिंह रूप धरंता
कालीदह मे नाग जो नाथ्यो
फण फण निरत करंता ॥२॥
वृंदावन मे रास रचायो
नाचत बाल मुकुंदा
मीरा के प्रभु गिरधर नागर
काटो यम का फ़ंदा ॥३॥
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