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मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है

Tuesday, 7 July 2009

साहित्य - डा. सफ़ी हसन
संकलन - हाज़िर
गायन - हरिहरन


मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है, जिया जिया ना जिया ।
है एक सांस का झगड़ा, लिया लिया ना लिया ॥

बदन ही आज अगर तार-तार है मेरा ।
तो एक चाक-ए-ग़रीबाँ, सिया सिया ना सिया ॥१॥

ये और बात के तू हर रह-ए-ख़याल मे है ।
के तेरा नाम ज़बान से, लिया लिया ना लिया ॥२॥

मेरे ही नाम पे आया है जाम महफ़िल मे ।
ये और बात के मै ने, पिया पिया ना पिया ॥३॥

ये हाल-ए-दिल है 'सफ़ी' मैं तो सोचता ही नही ।
के क्यों किसी ने सहारा, दिया दिया ना दिया ॥४॥

तार-तार=टुकड़े टुकड़े
चाक=फटा हुआ

1 comments:

Sarang said...

Very beautiful song from Album: Hazir by Hariharan & Ustad Zakir Husain

Here is a link to listen/ download the song:

http://www.divshare.com/download/7914869-da4

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