Pages

दरबारी कान्हऱा - किन बैरन कान भरे

Wednesday, 20 April 2016

राग - दरबारी कान्हऱा
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
किन बैरन कान भरे,
मोरे पिया मो से बोलत नाही ॥

अंतरा
हूँ तो वा की चरनन दासी,
चरनन शीश धरे ॥

0 comments:

Popular Posts