नींद से आँख खुली है
Monday, 17 August 2015
साहित्य - शाहिद कबीर
संगीत - जगजीत सिंघ
गायन - चित्रा सिंघ
नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है |
देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है ॥
बाँध रखा है किसी सोच ने घर से हम को |
वर्ना अपना दर-ओ-दीवार से रिश्ता क्या है ॥१॥
रेत की, ईंट की, पत्थर की हो, या मिट्टी की |
किसी दीवार के साये का भरोसा क्या है ॥२॥
घेर कर मुझ को भी लटका दिया मस्लूब के साथ
मैं ने लोगों से यह पूछा था कि क़िस्सा क्या है ॥३॥
संग-रेज़ों के सिवा कुछ तिरे दामन में नहीं
क्या समझ कर तू लपकता है उठाता क्या है ॥४॥
अपनी दानिस्त में समझे कोई दुनिया ‘शाहिद’ |
वर्ना हाथों में लकीरों के अलावा क्या है ॥५॥
मस्लूब=Crucified Person
संग-रेज़ो=Pebbles
तिरे दामन - Your cloak
दानिस्त=Knowledge
Chitra Singh performs :
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