भैरव - हम से करत तुम रार बालम
Saturday, 13 June 2015
राग - भैरव
ताल - द्रुत तीनताल
स्थायी
हम से करत तुम रार बालम,
छोडो़ मोरी बैय्यां ॥
अंतरा
सगरी रैन मोरे तड़पत बीती,
तुम बिन कछु नाही सुहावे॥
सुभाषितं हारि विशत्यधो गलान्न दुर्जनस्यार्करिपोरिवामृतम्।
तदेव धत्ते हृदयेन सज्जनो हरिर्महारत्नमिवातिनिर्मलम्॥
--बाणभट्टः ("कादम्बरी")
"Heartless people with fine words and Rahu with the Nectar are alike :
unable to consume.
Connoisseurs with fine words and Vishnu with the Kaustubha are alike :
wearing on the heart"
--Bāṇabhaṭṭa (Kādaṃbarī)
राग - भैरव
ताल - द्रुत तीनताल
0 comments:
Post a Comment