आहिर भैरव - बेग बेग आओ मंदिर
Thursday, 11 June 2015
रचना - महबूबख़ान 'दरस पिया'
राग - आहिर भैरव
ताल - द्रुत एकताल
स्थायी
बेग बेग आओ मंदिर,
बहुत दिनन बीते पिया ॥
अंतरा
सूझत कछु नाही मोहे,
निस दिन घड़ी पल छिन,
गुनिजन को "दरस पिया" ॥
सुभाषितं हारि विशत्यधो गलान्न दुर्जनस्यार्करिपोरिवामृतम्।
तदेव धत्ते हृदयेन सज्जनो हरिर्महारत्नमिवातिनिर्मलम्॥
--बाणभट्टः ("कादम्बरी")
"Heartless people with fine words and Rahu with the Nectar are alike :
unable to consume.
Connoisseurs with fine words and Vishnu with the Kaustubha are alike :
wearing on the heart"
--Bāṇabhaṭṭa (Kādaṃbarī)
रचना - महबूबख़ान 'दरस पिया'
राग - आहिर भैरव
ताल - द्रुत एकताल
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