तोडि - भवानी जगत जननी
Tuesday, 2 July 2013
रचना - तानसेन
राग - तोडि
ताल - द्रुत एकताल
स्थायी
भवानी जगत जननी
दायिनी सुख कारिनी (/ धारिनी दुःख हारिनी)
मुझको तू आधार ॥
अंतरा
स्मरत तव चरण युगल
पाप ताप शमन होत
'तानसेन' गात नाम
दिवस यामिनी ॥
सुभाषितं हारि विशत्यधो गलान्न दुर्जनस्यार्करिपोरिवामृतम्।
तदेव धत्ते हृदयेन सज्जनो हरिर्महारत्नमिवातिनिर्मलम्॥
--बाणभट्टः ("कादम्बरी")
"Heartless people with fine words and Rahu with the Nectar are alike :
unable to consume.
Connoisseurs with fine words and Vishnu with the Kaustubha are alike :
wearing on the heart"
--Bāṇabhaṭṭa (Kādaṃbarī)
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