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चतुर सुघर बलमा

Monday, 30 December 2019

राग - केदार
ताल - एकताल


स्थायी
चतुर सुघर बलमा तुम,
पकरत हो बैंय्या,
ऐसी नवेली नार कहा माने,
हित की सार गँवार तुम॥

अंतरा
महाज्ञानी अति प्रवीण,
सब विधि जानत हो,
पहचानत हो बलमा तुम,
अपने घर की लार लड़ाई,
लाड़ली को मनाए जात,
प्यार सरस गरवा लगाए ॥

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