कलावती - आज मोरे घर आये मितवा
Friday, 16 February 2018
राग - कलावती
ताल - तीनताल
स्थायी
आज मोरे घर आये मितवा,
बहुत दिनन की प्यासी बलमा ॥
अंतरा
सब सखियन मिल मंगल गाओ,
संग पिया ऐसो लागो गरवा ॥
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सुभाषितं हारि विशत्यधो गलान्न दुर्जनस्यार्करिपोरिवामृतम्।
तदेव धत्ते हृदयेन सज्जनो हरिर्महारत्नमिवातिनिर्मलम्॥
--बाणभट्टः ("कादम्बरी")
"Heartless people with fine words and Rahu with the Nectar are alike :
unable to consume.
Connoisseurs with fine words and Vishnu with the Kaustubha are alike :
wearing on the heart"
--Bāṇabhaṭṭa (Kādaṃbarī)
राग - कलावती
ताल - तीनताल
ಸಾಹಿತ್ಯ-ಪುರಂದರದಾಸ
साहित्य - मिर्ज़ा ग़ालिब
राग - बैरागी भैरव
ताल - द्रुत एकताल
ಸಾಹಿತ್ಯ-ಪುರಂದರದಾಸ
राग - अभोगी
ताल - विलंबित झपताल
राग - अभोगी
ताल - द्रुत एकताल
राग - अभोगी
ताल - द्रुत तीनताल
ಸಾಹಿತ್ಯ-ವಿಜಯದಾಸ
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संगीत-गोविंद बल्लाळ देवल
स्वर-वसंतराव देशपांडे
राग-दरबारी कानडा
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