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भैरव - जागो मोहन प्यारे

Tuesday, 4 June 2013

राग - भैरव
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
जागो मोहन प्यारे तुम
साँवरी सूरत तोरा मन ही भावे
सुंदर श्याम हमारे॥

अंतरा
प्रातः समय उठी भानोदय भयो
ग्वाल बाल सब भूपती आवे
तुम्हरे दरसवा को द्वारे ठाड़े
उठी उठी नंदकिशोर ॥

लिपिबद्ध स्वर
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जा S गो S मो S
रे
प्या S रे S S S तु साँ री सू तो रा
रे रे S सा S ऩी सा
ही S भा S वे S सुं S श्या S
सां सां मप मग
मा S S S S S रे S
प्रा S तः ठी
सां सां सां सां सां नी रे सां सां नी नी नी नी रे सां
भा S नो S यो ग्वा S बा S
सां सां नी सां नीसां रेंसां नी
भू S ती S वे S तु म्ह रे वा को
रे रे रे सा सा ऩी सा
द्वा S रे S ठा S ड़े S ठी ठी नं S कि
सां सां मप मग
शो S S S S S S


Pandit Dr.Nagaraja Rao Havaldar performs (drut khayal begins 22:10):

6 comments:

Anonymous said...

GMdd PdP ddPMPMG GMG rGM MG MG rS SrGM PdNS+ r+r+S+NddPMG||PPP dd NN S+S+ S+Nr+ S+S+ dd NNS+ S+S+ r+r+S+NS+ddPMG SrGM PdNS+ r+r+S+NddPMG||

Anonymous said...

I know that they will not be able to do things as efficiently like me

Anonymous said...

For its notation, see your weblog on "Dhan Dhan Murat Krishna Murari" and it is also a song which had I learnt from my guru, so thanks for the compliment

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