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सैंय्या मैं नू रतड़ी

Friday, 16 November 2018

राग - गौड़ सारंग
ताल - विलंबित एकताल


स्थायी
सैंय्या मैं नू रतड़ी वे जमायिये ॥

अंतरा
हाथन मेहन्दी पाँऊन मेहन्दी लगी,
चूड़ी भायो कलायिया॥

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