मोरे घर आ
Saturday, 24 November 2018
रचना - भूपत ख़ान 'मनरंग'
राग - पूरिया क्ल्याण
ताल - द्रुत तीनताल
स्थायी
मोरे घर आ, आजा रे,
सुरजन सैय्यां मीत पियारवा ॥
अंतरा
तन मन धन सब तुम पर वारी,
‘मनरंग’ दरस दिखा जा रे ॥
Rashid Khan performs here on YouTube
0 comments:
Post a Comment