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हम ने एक शाम चिराग़ों से सजा रखी है

Tuesday, 17 September 2013

साहित्य - ताहिर फ़राज़
संकलन - काश
गायन - हरिहरन


हम ने एक शाम चिराग़ों से सजा रखी है ।
शर्त लोगों ने हवाओँ से लगा सखी है ॥

हम भी अंजाम की परवाह नही करते यारो ।
जान हम ने भी हथेली पे उठा रखी है ॥१॥

शायद आ जाये कोई हम से ज़्यादा प्यासा ।
बस यही सोचके थोड़ी बचा सखी है ॥२॥

तुम हमें क़त्ल तो करने नहीं आये लेकिन ।
आस्तीनों में यह क्या चीज़ छुपा सखी है ॥३॥

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काश ऐसा कोई मंज़र होता

साहित्य - ताहिर फ़राज़
संकलन - काश
गायन - हरिहरन


काश ऐसा कोई मंज़र होता ।
मेरे कांधे पे तेरा सिर होता ॥

जमा करता जो में आये हुए संग ।
सिर छुपाने के लिये घर होता ॥१॥

इस बुलंदी पे बहुत तन्हा हूँ ।
काश मैं सब के बराबर होता ॥२॥

उसने उलझादिया दुनिया में मुझे ।
वरना एक और क़लंदर होता ॥३॥

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बंगरी मोरी मुरक गई छांडो

Monday, 16 September 2013

राग - मारवा
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
बंगरी मोरी मुरक गई छांडो ना बैया,
तोरी काकीली चोरी लंगरवा,
हसत खेलत कीन्ही मो से बरजोरी ॥

अंतरा
संग के सहेलिया लुभाय गाईयॉं,
वह तो दूर दूर निकसो जात ॥

Audio Link : Bhimsen Joshi

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गुरु बिन ज्ञान ना पावे

राग - मारवा
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
गुरु बिन ज्ञान ना पावे
मन मूरख काहे सोच सोच पछतावे ॥

अंतरा
सदगूरु की संगत कर रे
सब गुनयन में गुनी कहावे ॥

लिपिबद्ध स्वर
X 0
ध̣सा सा ध̣सा ऩी रे
गु रु बि S
ऩी S ध̣ S ध̣ S ध̣ ऩीरे रे S ऩीध̣ सा सा ऩीध̣ ऩी ऩी
ज्ञा S S S S ना S पा S वे मू S
ध̣ S ऩी ध̣ ऩीध̣ रे रे म́ म́ग रे गम́ म́
S का S हे S सो S S S सो S S
S म́ध म́ग रे म́ध म́ग रेसा ऩीध̣ साऩी रे
S ता S S S S S S वे S
म́ सां S सां
गु S रु
सां S सां S सां सां सां नीध रेंनी रें S रें रें रे S S
की S सं S रे S S S S S
ऩीरे नीध̣ S S ध̣ ऩी रे म́ S S म́ S S
S S S S गु नि में S S गु नी S S
म́ध म́ग रे म́ध म́ग रेसा ऩीध̣ साऩी रे S सा
हा S S S S S S S वे S S

Audio links : Bhimsen Joshi

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कृष्णाष्टकम्

Wednesday, 28 August 2013

वसुदेवसुतम् देवम् कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकी परमानन्दम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥१॥

अतसी पुष्पसङ्काशम् हार नूपुर शोभितम् ।
रत्नकङ्कणकेयूरम् कृष्ण्म् वन्दे जगद्गुरुम् ॥२॥

कुटिलालक संयुक्त्म् पूर्णचन्द्रनिभाननम् ।
विलसत् कुण्डलधरम् कृष्ण्म् वन्दे जगद्गुरम् ॥३॥

मन्दारगन्धसंयुक्तम् चारुहासम् चतुर्भुजम् ।
बर्हिपिंछावचूडाङ्गम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥४॥

उत्फुल्लपद्मपत्राक्षम् नीलजीमूतसन्निभम् ।
यादवानाम् शिरोरत्नम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥५॥

रुक्मिणीकेलिसंयुक्तम् पीताम्बरसुशोभितम् ।
अवाप्त तुलसीगन्धम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥६॥

गोपिकानाम् कुचद्वन्दकुङ्कुमाङ्कितवक्षसम् ।
श्रीनिकेतम् महेष्वासम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥७॥

श्रीवत्साङ्कम् महोरस्कम् वनमाला विराजितम् ।
शङ्खचक्रधरम् देवम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥८॥

कृष्णाष्टकमिदम् पुण्यम् प्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
कोटिजन्मकृतम् पापम् स्मरणेन विनश्यति ॥

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నిన్న లేని అందమేదో నిదుర లేచెనెందుకో

Tuesday, 27 August 2013

సాహిత్యం - సీ.నారాయణరెడ్టి
చిత్రం-పూజాఫలం (౧౯౬౪)
సంగీతం-సాలూరి రాజేశ్వర రావు
గాయనం-ఘంటసాల వెంకటేశ్వర రావు


నిన్న లేని అందమేదో నిదుర లేచెనెందుకో ॥

తెలియరాని రాగమేదో తీగె సాగెనెందుకో
నాలో .. నిన్న లేని అందమేదో నిదుర లేచెనెందుకో ॥

పూచిన ప్రతి తరువొక వధువు
పూవు పూవున పొంగెను మధువు
ఇన్నాళ్లీ శోభలన్నీ ఎచట దాగెనో ॥౧॥

చెలి నురుగులె నవ్వులు కాగా
సెలయేరులు కులుకుచు రాగా
కనిపించని వీణలేవో కదలి మ్రోగెనే ॥౨॥

పసిడి అంచు పైట జార
పయనించే మేఘ బాల
అరుణ కాంతి సోకగానే పరవశించెనే ॥౩॥

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दुर्गा - मनमोहन मुरलीवाला

Saturday, 10 August 2013

राग - दुर्गा
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
मनमोहन मुरलीवाला
मुरलीवाला सखी है काला ॥

अंतरा
निस दिन जागो ध्यान धरत हे
मुनि निगमागम गुनी गावत हे
जित जैय्यो उत हम देखत है
सीस मुकुट गले वनमाला ॥

लिपिबद्ध स्वर
X 0
S S रे सा
मो S मु ली S
रे ध̣ सा S S S सा सा रे
वा S ला S S S मु ली S वा S ला S खी
पम S
है S का S ला S
S सां
नि दि जा S गो S
सां S सां सां रें सां S सां सां सां S रें रें
ध्या S है S मु नि नि मा S
सां रें सांरें सां S S पध
गु नी गा S है S जि जै S य्यो S
रे सा रे ध̣ सा S सा मरे पम धप सां सां
दे S हे S सी S मु कु ले
सां धसां रेंसां धसां धप
मा S ला S S S

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ನೀನೆ ದಯಾಳೋ ನಿರ್ಮಲಚಿತ್ತ ಗೋವಿಂದ

Wednesday, 31 July 2013

ಸಾಹಿತ್ಯ-ಪುರಂದರದಾಸ


ನೀನೇ ದಯಾಳೋ ನಿರ್ಮಲಚಿತ್ತ ಗೋವಿಂದ ।
ನಿಗಮಗೋಚರ ಮುಕುಂದ ॥
ಜ್ಞಾನಿಗಳರಸ ನೀನಲ್ಲದೆ ಜಗಕಿನ್ನು ।
ಮಾನದಿಂದಲಿ ಕಾವ ದೊರೆಗಳ ನಾ ಕಾಣೆ ॥

ದಾನವಾಂತಕ ದೀನಜನಮಂದಾರನೆ ।
ಧ್ಯಾನಿಪರ ಮನಸಂಚಾರನೆ ।
ಮೌನವಾದೆನು ನಿನ್ನ ಧ್ಯಾನಾನಂದದಿ ಈಗ ।
ಸಾನುರಾಗದಿ ಕಾಯೋ ಸನಕಾದಿವಂದ್ಯನೆ ॥೧॥

ಬಗೆಬಗೆಯಲಿ ನಿನ್ನ ಸ್ತುತಿಪೆನೋ ನಗಧರ ।
ಖಗಪತಿವಾಹನನೆ ।
ಮಗುವಿನ ಮಾತೆಂದು ನಗುತ ಕೇಳುತ ಬಂದೆ ।
ಬೇಗದಿಂದಲಿ ಕಾಯೋ ಸಾಗರಶಯನನೆ ॥೨॥

ಮಂದರಧರ ಅರವಿಂದಲೋಚನ ನಿನ್ನ ।
ಕಂದನೆಂದೆಣಿಸೊ ಎನ್ನ ।
ಸಂದೇಹವೇಕಿನ್ನು ಸ್ವಾಮಿ ಮುಕುಂದನೆ ।
ಬಂದೆನ್ನ ಕಾಯೋ ಶ್ರೀಪುರಂದರವಿಠಲ ॥೩॥

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चक्की चल रही

Tuesday, 23 July 2013

साहित्य - कबीर


चक्की चल रही, कबीरा बैठा रोयी
दोनो पुड़ के बीच में साझा ना निकले कोयी ।
चक्की चल रही, कबीरा बैठा जोयी
खूंटा पकड़ो निज नाम का, तो साझा निकले जो सोयी ॥

छोड़ के मत जाअो एकली रे
बंजारा रे बंजारा रे ।
दूर देस रहे मामला
अब जागो प्यारा रे ॥

अपना साहेब ने महल बनायी, बंजारा रे, बंजारा रे ।
गहरी गहरी माहे बीन बजायी, बंजारा हो ॥१॥

अपना साहेब ने बाग़ बनायी, बंजारा रे, बंजारा रे ।
फूल भरी लायी छाब रे, बंजारा हो ॥२॥

कहत कबीरा धर्मीदास को ।
संत अमरापुर मालना, बंजारा रे ॥३॥

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तोडि - भवानी जगत जननी

Tuesday, 2 July 2013

रचना - तानसेन
राग - तोडि
ताल - द्रुत एकताल


स्थायी
भवानी जगत जननी
दायिनी सुख कारिनी (/ धारिनी दुःख हारिनी)
मुझको तू आधार ॥

अंतरा
स्मरत तव चरण युगल
पाप ताप शमन होत
'तानसेन' गात नाम
दिवस यामिनी ॥

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