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बरखा रात की चांदनी

Monday, 30 December 2019

राग - केदार
ताल - तीनताल


स्थायी
बरखा रात की चांदनी में,
बरसत रस देखो बूँद बूँद॥

अंतरा
बाँसुरी बजावत सब को रिझावत,
गावत सब मिल राग केदार ॥

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