सिया रघुबर की छबि
Monday, 30 December 2019
राग - केदार
ताल - एकताल
स्थायी
सिया रघुबर की छबि देखी,
राम नाम है प्यास जीवन की॥
अंतरा
प्राण तन में जब लग मेरो,
नैनन में बसी मूरत सिया रघुबर की ॥
सुभाषितं हारि विशत्यधो गलान्न दुर्जनस्यार्करिपोरिवामृतम्।
तदेव धत्ते हृदयेन सज्जनो हरिर्महारत्नमिवातिनिर्मलम्॥
--बाणभट्टः ("कादम्बरी")
"Heartless people with fine words and Rahu with the Nectar are alike :
unable to consume.
Connoisseurs with fine words and Vishnu with the Kaustubha are alike :
wearing on the heart"
--Bāṇabhaṭṭa (Kādaṃbarī)
राग - केदार
ताल - एकताल
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