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सावन की बूँदनिया

Monday, 30 December 2019

राग - केदार
ताल - एकताल


स्थायी
सावन की बूँदनिया,
बरसत घन घोर॥

अंतरा
बिजली चमकत दमकत,
दास मनवा अति लरजत,
मोर करे शोर ॥

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