Pages

मोरे घर आ

Saturday, 24 November 2018

रचना - भूपत ख़ान 'मनरंग'
राग - पूरिया क्ल्याण
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
मोरे घर आ, आजा रे,
सुरजन सैय्यां मीत पियारवा ॥

अंतरा
तन मन धन सब तुम पर वारी,
‘मनरंग’ दरस दिखा जा रे ॥


Rashid Khan performs here on YouTube

Read more...

बहुत दिन बीते

राग - पूरिया क्ल्याण
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
बहुत दिन बीते,
अजहूँ ना आये मोरे श्याम ॥

अंतरा
अब सावन की पिया मिलन की,
पिया मोरे कब आये मंदिरवा ॥

Read more...

आये सब

राग - पूरिया क्ल्याण
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
आये सब ब्रिज गोप ललिटि,
ठकी गली जमुना जल न्हाने॥

अंतरा
औछक आये मिले रस ख़ान,
बजावत वेणु सुनावत कान्हा॥

Read more...

गावे गुनी

राग - पूरिया क्ल्याण
ताल - विलंबित एकताल


स्थायी
गावे गुनी गनी का गंधर्व जो,
सारदसे सब गुनी गावे ॥

अंतरा
नाम अनंत गनंत गणेश जो,
ब्रह्म त्रिलोचन पार ना पावे॥

Read more...

आज सु बना

राग - पूरिया क्ल्याण
ताल - विलंबित एकताल


स्थायी
आज सु बना लाड लडावन दे मां ॥

अंतरा
इस बनरे के सब रस सेहरा,
बन री के मांग भरावन दे मां ॥

Rashid Khan performs here on YouTube

Read more...

सगरी रैन मोहे

Friday, 16 November 2018

राग - गौड़ सारंग
ताल - द्रुत तीनताल


स्थायी
सगरी रैन मोहे तड़पत दय्या,
एक घड़ी पलछिन ना कर सैंय्या ॥

अंतरा
जब से गये मोरी सारी उमरिया,
तब ते रीत पीत कछु कछु कम भयी,
ऐसो मोहे पलपित ना कर सैंय्या॥

Read more...

सैंय्या मैं नू रतड़ी

राग - गौड़ सारंग
ताल - विलंबित एकताल


स्थायी
सैंय्या मैं नू रतड़ी वे जमायिये ॥

अंतरा
हाथन मेहन्दी पाँऊन मेहन्दी लगी,
चूड़ी भायो कलायिया॥

Read more...

Popular Posts