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ఏ కులము

Wednesday, 17 August 2011

సాహిత్యం - వేటూరి సుందరరామమూర్తి
చిత్రం-సప్తపది
సంగీతం - కె.వి.మహదేవన్
గాయనం - ఎస్.పి.బాలసుబ్రమణ్యం, ఎస్.జానకి


ఏ కులము నీదంటే గోకులము నవ్వింది
మాధవుడు యాదవుడు మా కులమే లెమ్మంది ॥

ఏడు వర్ణాలు కలిసి ఇంద్రధనస్సవుతాది
అన్నీ వర్ణాలకు ఒకటే ఇహము పరముంటాది ॥౧॥

ఆదించి ఆకాశం మూగది
అనాదిగా తల్లి ధరణి మూగది
నడుమ వచ్చి ఉఱుముతాయి మబ్బులు
ఈ నడమంత్రపు మనుషులకే మాటలు... ఇన్ని మాటలు ॥౨॥

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ఆమని పాడవే హాయిగా

సాహిత్యం - వేటూరి సుందరరామమూర్తి
చిత్రం-గీతాంజలి
సంగీతం-ఇళయరాజ
గాయనం - ఎస్.పి.బాలసుబ్రమణ్యం


ఆమని పాడవే హాయిగా
మూగవై పోకు ఈ వేళ
రాలేటి పూల రాగాలతో
పూసేటి పూల గంధాలతో
మంచు తాకి కోయిల మౌనమైన వేళలా ॥

వయస్సులో వసంతమే ఉషస్సులా జ్వలించగా
మనస్సులో నిరాశలే రచించెలే మరీచిక
పదాల నా ఎద స్వరాల సంపద
తరాల నా కథ క్షణాలదే కదా
గతించి పోవు గాధ నేనని ॥౧॥

శుకాలతో పికాలతో ధ్వనించిన మధూదయం
దివి భువి కలా నిజం సృశించిన మహోదయం
మరో ప్రపంచమే మరింత చేరువై
నివాళి కోరిన ఉగాది వేళలో
గతించి పోని గాధ నేనని ॥౨॥

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ये क्या जगह है दोस्तों

Tuesday, 5 July 2011

साहित्य - शह्र्यार
चित्रपट-उम्राओ जाँ
संगीत - ख़य्याम
गायन - आशा भोंसले


यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौन सा दयार है ।
हद-ए-निगाह तक जहां, ग़ुबार ही ग़ुबार है ॥

ये किस मुक़ाम पर हयात मुझको लेके आ गई ।
ना बस खुशी पे है जहां, ना ग़म पे इख्तियार है ॥१॥

तमाम उम्र का हिसाब मांगती है ज़िन्दगी ।
ये मेरा दिल कहे तो क्या, के खुद से शर्मसार है ॥२॥

बुला रहा है कौन मुझको चिलमनों के उस तरफ़ ।
मेरे लिये भी क्या कोई उदास बेक़रार है ॥३॥

न जिसकी शक़ल है कोई, न जिसका नाम है कोई ।
एक ऐसी शै का क्यों हमें अज़ल से इन्तज़ार है ॥४॥

दयार=region/boundary
हद-ए-निगाह=limits of sight
ग़ुबार=dust-storm
मुक़ाम=situation, milestone
हयात=life
इख्तियार=power, control
शर्मसार=shameful
चिलमन=blinds/curtains made of reed
बेक़रार=anxious
शै=चीज़, Object
अज़ल=beginning of creation

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याचसाठी केला होता अट्टहास

Saturday, 5 March 2011

साहित्य-तुकाराम


याचसाठी केला होता अट्टहास ।
शेवटचा दिस गोड व्हावा ॥

आता निश्चिंतीने पावलो विसावा ।
खुंटलिया धावा तृष्णेचिया॥१॥

कव तुकवाटे जालिया वेचाचे ।
नाव मंगलाचे तेने गुणे ॥२॥

तुका म्हणे मुक्ती परिणिली नोवरी ।
आता दिस चारी खेळी मेळी ॥३॥

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पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा

Monday, 7 February 2011

साहित्य - मीर तक़ी 'मीर'


पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है ।
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है॥

लगने न दे बस हो तो उस के गौहर-इ-गोश को बाले तक ।
उस को फलक चश्म-ए-माह-ओ-खुर के पुतली का तारा जाने है ॥१॥

आगे उस मुताकब्बिर के हम खुदा खुदा किया करते हैं ।
कब मौजूद खुदा को वो मघरूर खुद-आरा जाने है ॥२॥

आशिक़ सा तो सादा कोई और न होगा दुनिया में ।
जी के ज़ान को इश्क में उस के अपना वारा जाने है ॥३॥

चारागरी बीमारी-ए-दिल की रस्म-ए-शहर-ए-हुस्न नहीं ।
वरना दिलबर-ए-नादाँ भी इस दर्द का चारा जाने है ॥४॥

क्या ही शिकार-फरेबी पर मघरूर है वो सय्याद बच्चा ।
तैर उड़ते हवा मैं सारे अपनी उस्सारा जाने है ॥५॥

मेहर-ओ-वफ़ा-ओ-लुत्फ़-ओ-इनायत एक से वाक़िफ इनमें नहीं ।
और तो सब कुछ तंज़-ओ-किनाया रम्ज़-ओ-इशारा जाने है ॥६॥

क्या क्या फ़ितने सर पर उसके लाता है माशूक़ अपना ।
जिस बेदिल बेताब-ओ-तवां को इश्क़ का मारा जाने है ॥७॥

आशिक़ तो मुर्दा ही हमेशा जी उठाता है देखे उसे ।
यार के आ जाने को यक़ायक़ उम्र दोबारा जाने है ॥८॥

रखानों से दीवार-ए-चमन के मूंह को ले हैछिपा यानी ।
उन सुराखों के टुक रहने को सौ का नज़ारा जाने है ॥९॥

तशना-ए-खून है अपना किअना 'मीर' भी नादाँ तल्खी-कश ।
दम-दार आब-ए-तेघ को उस के आब-ए-गंवारा जाने है ॥१0॥

पत्ता=Leaf
बूटा=Undershrub
गुल=Rose
बाग़=Garden
गौहर-ए-गोश=Pearl like ears
बाले=Earrings
फलक=Sky, Heaven, Fortune, Fate
चश्म-ए-माह-ओ-खुर=Eye of the Moon and the Sun
पुतली-का-तारा=Apple of the eye
मुतकब्बिर=Proud, haughty, arrogant, disdainful
मघरूर=Arrogant, Braggart, Lofty, Proud
खुद-आरा=Self Adorer
जी=Life, Existence
ज़ान=Loss
वार=Assault, अपना वारा=Self sacrifice
चारागरी=Healing Of Wounds and Pain
शहर-ए-हुस्न=Beautiful city/surroundings
चारा=Aid, Cure, Help, Means, Redress, Resource, Remedy
सय्याद=Hunter
तैर=Flying, a winged creature
उस्सार=A Lot, Extremely, Endless, Boundless
मेहर=Kindness, Mercy
इनायत=Blessing, Favour, Kindness
तंज़=Jest, Irony, Laugh, Quirk, Sarcasm,Satire, Wisecrack, Witticism
किनाया=Allusion; metaphor, trope, figure, metonymy; expression; innuendo; sarcasm, taunt, jeer, banter;
तंज़-ओ-किनाया=Taunting, teasing
रम्ज़=Allegory, Secret, Mysterious , रम्ज़-ओ-इशारा=Hinting at
फितना=Sedition, Mischief, Mutiny, Quarrel, Revolt, Temptation, Wickedness
तवां=Thy, thine
रखन=Protecting, guarding
यानी=Namely, That Is To Say, Quasi, Viz
सुर्खी=Lipstick, Redness, Title
टुक=A cadence, A moment
तशना-ए-खून=Thirst for blood
तल्खी=Acidity, Bitterness, Pungency, तल्खी-कश=one who bears/endures bitterness
दम-दार=Holding energy/life, vitality
आब=Water, तेघ=Sword , आब-ए-तेघ=Water/wine that tastes bitter
गंवारा=Agreeable, Palatable आब-ए-गंवारा=Good/Rich wine

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रघुवर तुमको मेरी लाज

Monday, 24 January 2011

साहित्य-तुलसीदास
चित्रपट - अनकही
संगीत - जयदेव
गायन - भीमसेन जोशी


रघुवर तुमको मेरी लाज ।
सदा सदा मैं शरण तिहारी, तुम हो ग़रीब निवाज ॥

पतित उधारन विरद तिहारो, श्रवन न सुनी आवाज ।
हूँ तो पतित पुरातन कहिये, पार उतारो जहाज ॥१॥

अघ खण्डन दुख भंजन जन के, यही तिहारो काज ।
तुलसीदास पर किरपा कीजे, भक्ति दान देहु आज॥२॥

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दुर्गा सूक्तम्

Wednesday, 8 December 2010

दुर्गा सूक्तम्


जातवेदसे सुनवाम सोममरातीयतो निदहाति वेदः ।
स नः पर्षदति दुर्गाणि विश्वा नावेव सिन्धुम् दुरितात्यग्निः ॥१॥

तामग्निवर्णाम् तपसा ज्वलन्तीं वैरोचनीम् कर्मफलेषु जुष्टाम् ।
दुर्गाम् देवीम् शरणमहम् प्रपद्ये सुतरसि तरसे नमः ॥२॥

अग्ने त्वम् पारया नव्यो अस्मान् स्वस्तिभिरिति दुर्गाणि विश्वा ।
पूश्च पृथ्वी बहुलान उर्वी भवा तोकाय तनयाय शंयोः ॥३॥

विश्वानि नो दुर्गहा जातवेदस्सिन्धुम् न नावा दुरितातिपर्षि ।
अग्ने अत्रिवन्मनसा गृणानोऽस्माकम् बोधयित्वा तनूनाम् ॥४॥

पृतनाजिताम् सहमानमुग्रमग्नीम हुवेम परमाथ्सधस्थात् ।
स नः पर्षदति दुर्गाणि विश्वा क्षामद्देवो अतिदुरितात्यग्निः ॥५॥

प्रत्नोषिकमीड्यो अध्वरेषु सनाच्च होता नव्यश्च सथ्सि ।
स्वांचाग्ने पिप्रयस्वास्मभ्यम् च सौभाग्यमायजस्व ॥६॥

गोभिर्जुष्टमयुजोनिषित्क्तम् तवेन्द्र विष्णोरनुसंचरेम ।
नाकस्य पृष्ठमभिसंवसानो वैष्णवीम् लोक इह मादयन्ताम् ॥७॥

कात्यायनाय विद्महे कन्यकुमारी धीमहि।
तन्नो दुर्गिः प्रचोदयात् ॥

Explanation and
Discussion

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घेई छंद मकरंद

Monday, 29 November 2010

साहित्य - पुरुषोत्तम दारव्हेकर
राग  - भीमपालासी (द्रुत तीनताल)
      सालगवराली (मध्यलय झपताल)
गायक - वसंतराव देशपांडे (द्रुत)
       जितेंद्र अभिषेकी (मध्यलय)
नाटक - कट्यार काळजात घुसली

घेई छंद मकरंद प्रिय हा मिलिंद ।
मधुसेवनानंद स्वच्छंद हा धुंद ॥

मिटता कमलदल होई बंदी भृंग ।
तरि सोडिना ध्यास, गुंजनात दंग ॥१॥

बिसतंतू मृदु होति जणु व्रजबंध ।
स्वरब्रम्ह आनंद ! स्वर हो सुगंध ॥२॥

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ये रे घना, ये रे घना

Friday, 8 October 2010

साहित्य-आरती प्रभू


ये रे घना, ये रे घना ।
न्हाउ घाल माझ्या मना ॥

फुले माझि अळुमाळु, वारा बघे चुरगळू ।
नको नको म्हणताना, गंध गेला रानावना ॥१॥

टाकुनिया घरदार नाचणार, नाचणार ।
नको नको म्हणताना, मनमोर भर राना ॥२॥

नको नको किती म्हणू, वाजणार दूर वेणू ।
बोलावतो सोसाट्याचा, वारा मला रसपाना ॥३॥

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రేపల్లియ యెద ఝల్లున పొంగిన రవళి

Friday, 16 July 2010

సాహిత్యం - వేటూరి సుందరరామమూర్తి
చిత్రం-సప్తపది
సంగీతం-కె.వి.మహదేవన్
గాయనం-ఎస్.పి.బాలసుబ్రమణ్యం, పి.సుశీల


రేపల్లియ యెద ఝల్లున పొంగిన రవళి

నవరస మురళి ఆ నందన మురళి
ఇదేనా ఆ మురళి మోహన మురళి ఇదేనా ఆ మురళి ॥

కాళింది మడుగున కాళీయుని పడగన
ఆబాలగోపాలం ఆ బాలగోపాలుని
అచ్చెరువున అచ్చెరువున విచ్చిన కన్నులజూడ
తాండవమాడిన సరళి గుండెలనూదిన మురళి ॥౧॥
ఇదేనా .. ఇదేనా ఆ మురళి

అనగల రాగమై తొలుత వీనులలరించి
అనలేని రాగమై మఱల వినిపించి మరులే కురిపించి
జీవనరాగమై బృందావన గీతమై
కన్నెల కన్నుల కలువల వెన్నెల దోచిన మురళి ॥౨॥
ఇదేనా .. ఇదేనా ఆ మురళి

వేణుగాన లోలుని మురిపించిన రవళి
నటనల సరళి ఆ నందన మురళి
ఇదేనా ఆ మురళి, మువ్వల మురళి, ఇదేనా ఆ మురళి ॥

మధురా నగరిలో యమునా లహరిలో
ఆ రాధ ఆరాధనాగీతి పలికించి
సంగీత నాట్యాల సంగమ సుఖవేణువై
రాసలీలకే ఊపిరిపోసిన అందెల రవళి ॥౩॥
ఇదేనా .. ఇదేనా ఆ మురళి

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