रघुवर तुमको मेरी लाज
Monday, 24 January 2011
साहित्य-तुलसीदास
चित्रपट - अनकही
संगीत - जयदेव
गायन - भीमसेन जोशी
रघुवर तुमको मेरी लाज ।
सदा सदा मैं शरण तिहारी, तुम हो ग़रीब निवाज ॥
पतित उधारन विरद तिहारो, श्रवन न सुनी आवाज ।
हूँ तो पतित पुरातन कहिये, पार उतारो जहाज ॥१॥
अघ खण्डन दुख भंजन जन के, यही तिहारो काज ।
तुलसीदास पर किरपा कीजे, भक्ति दान देहु आज॥२॥
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