वह जो हम में तुम में क़रार था
Monday, 22 February 2016
साहित्य - मोमिन ख़ान मोमिन
संगीत, गायन - मधूरानी फ़ैज़ाबादी
वह जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के ना याद हो ।
वही यानी वादा-निबाह का तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥
वह जो लुत्फ़ मुझ पे थे पेश्तर, वह क़रम के था मेरे हाल पर ।
मुझे सब है याद ज़रा ज़रा तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥१॥
वह नए गिले वह शिक़ायतें वह मज़े मज़े की हिकायतें ।
वह हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥२॥
कहीं बैठे सब हैं जो रू-बा-रू, तो इशारतों ही में गुफ्तगू ।
वह बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो की ना याद हो ॥३॥
हुए इत्तेफ़ाक से गर बहम, वह वफ़ा जताने को दम-बा-दम ।
गिला-ए-मलामत-ए-अक्र्बा तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥४॥
कोई बात ऐसी अगर हुई जो तुम्हारे जी को बुरी लगी ।
तो बयान से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥५॥
कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी ।
कभी हम भी तुम भी थे आशना तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥६॥
सुनो ज़िक्र है कई साल का के किया एक आप ने वादा था ।
सो निभाने का तो ज़िक्र क्या तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥७॥
कहा मैंने वह बात कोठी की मेरे दिल से साफ़ उतर गई ।
तो कहा के जान-ए-मेरी बला तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥८॥
वह बिगड़ना वस्ल की राल का वह ना मानना किस्सी बात का ।
वह नहीं नही की हर आन अदा तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥९॥
जिसे आप गिनते थे आशना जिसे आप कहते थे बा-वफ़ा ।
मैं वही हूँ मोमिन-ए-मुब्तला तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥१०॥
क़रार=Quietude
यानी=Namely, That Is To Say
वादा-निबाह=Loyalty to Promises
लुत्फ़=Favor, Grace
पेश-तर=Before, prior
क़रम=Benevolence, Kindness
गिला=Lamentation
शिक़ायत=Complaint, Accusation
हिकायत=Anecdote
रू-बा-रू=Face To Face
इशारत=love-glances, ogling
गुफ्तगू=Conversation
बरमला=Publicly, in the open
इत्तेफ़ाक=Accident, Chance
बहम=Gather, Together
दम-बा-दम=Every breath, Continuously
मलामत=Rebuke
अकरब=near and dear, loved ones
गिला-ए-मलामत-ए-अक्र्बा=Rebukes to a loved one
राह=Peace, satisfaction
आशना=Acquaintance
ज़िक्र=Mention
कोठी=Mansion, Residence
बला=Calamity, Distress
वस्ल=Meeting, Union
आन=Moment
मुब्तला=Embroiled In, Confused
Madhurani Faizabadi performs :
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संगीत, गायन - मधूरानी फ़ैज़ाबादी
वह जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो के ना याद हो ।
वही यानी वादा-निबाह का तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥
वह जो लुत्फ़ मुझ पे थे पेश्तर, वह क़रम के था मेरे हाल पर ।
मुझे सब है याद ज़रा ज़रा तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥१॥
वह नए गिले वह शिक़ायतें वह मज़े मज़े की हिकायतें ।
वह हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥२॥
कहीं बैठे सब हैं जो रू-बा-रू, तो इशारतों ही में गुफ्तगू ।
वह बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो की ना याद हो ॥३॥
हुए इत्तेफ़ाक से गर बहम, वह वफ़ा जताने को दम-बा-दम ।
गिला-ए-मलामत-ए-अक्र्बा तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥४॥
कोई बात ऐसी अगर हुई जो तुम्हारे जी को बुरी लगी ।
तो बयान से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥५॥
कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी ।
कभी हम भी तुम भी थे आशना तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥६॥
सुनो ज़िक्र है कई साल का के किया एक आप ने वादा था ।
सो निभाने का तो ज़िक्र क्या तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥७॥
कहा मैंने वह बात कोठी की मेरे दिल से साफ़ उतर गई ।
तो कहा के जान-ए-मेरी बला तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥८॥
वह बिगड़ना वस्ल की राल का वह ना मानना किस्सी बात का ।
वह नहीं नही की हर आन अदा तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥९॥
जिसे आप गिनते थे आशना जिसे आप कहते थे बा-वफ़ा ।
मैं वही हूँ मोमिन-ए-मुब्तला तुम्हें याद हो के ना याद हो ॥१०॥
क़रार=Quietude
यानी=Namely, That Is To Say
वादा-निबाह=Loyalty to Promises
लुत्फ़=Favor, Grace
पेश-तर=Before, prior
क़रम=Benevolence, Kindness
गिला=Lamentation
शिक़ायत=Complaint, Accusation
हिकायत=Anecdote
रू-बा-रू=Face To Face
इशारत=love-glances, ogling
गुफ्तगू=Conversation
बरमला=Publicly, in the open
इत्तेफ़ाक=Accident, Chance
बहम=Gather, Together
दम-बा-दम=Every breath, Continuously
मलामत=Rebuke
अकरब=near and dear, loved ones
गिला-ए-मलामत-ए-अक्र्बा=Rebukes to a loved one
राह=Peace, satisfaction
आशना=Acquaintance
ज़िक्र=Mention
कोठी=Mansion, Residence
बला=Calamity, Distress
वस्ल=Meeting, Union
आन=Moment
मुब्तला=Embroiled In, Confused
Madhurani Faizabadi performs :