शिवनामावल्याष्टकम्
Saturday, 2 March 2013
साहित्यम् - आदिशंकराचार्यः
हे चन्द्रचूड मदनांतक शूलपाणे स्थाणो गिरीश गिरजेश महेश शंभो ।
भूतेश भीतभयसूदन मामनाथम् संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥१॥
हे पार्वतीहृदयवल्लभ चन्द्रमौले भूताधिप प्रमथनाथ गिरीशजाप ।
हे वामदेव भवरुद्र पिनाकपाणे संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥२॥
हे नीलकंठ वृषभध्वज पञ्चवक्त्र लोकेश शेषवलय प्रमथेश शर्व ।
हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते माम् संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥३॥
हे विश्वनाथ शिव शंकर देवदेव गंगाधर प्रमथनायक नंदिकेश ।
बाणेश्वराधिकरपो हर लोकनाथ संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥४॥
वाराणसीपुरपते मणिकर्णिकेश वीरेश दक्षमखकाल विभो गणेश ।
सर्वज्ञ सर्वहृदयैकनिवास नाथ संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥५॥
श्रीमन्महेश्वर कृपामय हे दयालो हे व्योमकेश शितिकंठ गणाधिनाथ ।
भस्मांगराज नृकपालकलापमाल संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥६॥
कैलासशैलविनिवास वृषाकपे हे मृत्युञ्जय त्रिनयन त्रिजगन्निवास ।
नारायणप्रिय मदापह शक्तिनाथ संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥७॥
विश्वेश विश्वभवनाशक विश्वरूप विश्वात्मक त्रिभुवनैकगुणाभिवेश ।
हे विश्ववन्द्य करुणामय दीनबन्धो संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥८॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
हे चन्द्रचूड मदनांतक शूलपाणे स्थाणो गिरीश गिरजेश महेश शंभो ।
भूतेश भीतभयसूदन मामनाथम् संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥१॥
हे पार्वतीहृदयवल्लभ चन्द्रमौले भूताधिप प्रमथनाथ गिरीशजाप ।
हे वामदेव भवरुद्र पिनाकपाणे संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥२॥
हे नीलकंठ वृषभध्वज पञ्चवक्त्र लोकेश शेषवलय प्रमथेश शर्व ।
हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते माम् संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥३॥
हे विश्वनाथ शिव शंकर देवदेव गंगाधर प्रमथनायक नंदिकेश ।
बाणेश्वराधिकरपो हर लोकनाथ संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥४॥
वाराणसीपुरपते मणिकर्णिकेश वीरेश दक्षमखकाल विभो गणेश ।
सर्वज्ञ सर्वहृदयैकनिवास नाथ संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥५॥
श्रीमन्महेश्वर कृपामय हे दयालो हे व्योमकेश शितिकंठ गणाधिनाथ ।
भस्मांगराज नृकपालकलापमाल संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥६॥
कैलासशैलविनिवास वृषाकपे हे मृत्युञ्जय त्रिनयन त्रिजगन्निवास ।
नारायणप्रिय मदापह शक्तिनाथ संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥७॥
विश्वेश विश्वभवनाशक विश्वरूप विश्वात्मक त्रिभुवनैकगुणाभिवेश ।
हे विश्ववन्द्य करुणामय दीनबन्धो संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥८॥
गौरीविलासभवनाय महेश्वराय पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।
शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥
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