कृष्णाष्टकम्
Wednesday, 28 August 2013
वसुदेवसुतम् देवम् कंसचाणूरमर्दनम् ।
देवकी परमानन्दम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥१॥
अतसी पुष्पसङ्काशम् हार नूपुर शोभितम् ।
रत्नकङ्कणकेयूरम् कृष्ण्म् वन्दे जगद्गुरुम् ॥२॥
कुटिलालक संयुक्त्म् पूर्णचन्द्रनिभाननम् ।
विलसत् कुण्डलधरम् कृष्ण्म् वन्दे जगद्गुरम् ॥३॥
मन्दारगन्धसंयुक्तम् चारुहासम् चतुर्भुजम् ।
बर्हिपिंछावचूडाङ्गम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥४॥
उत्फुल्लपद्मपत्राक्षम् नीलजीमूतसन्निभम् ।
यादवानाम् शिरोरत्नम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥५॥
रुक्मिणीकेलिसंयुक्तम् पीताम्बरसुशोभितम् ।
अवाप्त तुलसीगन्धम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥६॥
गोपिकानाम् कुचद्वन्दकुङ्कुमाङ्कितवक्षसम् ।
श्रीनिकेतम् महेष्वासम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥७॥
श्रीवत्साङ्कम् महोरस्कम् वनमाला विराजितम् ।
शङ्खचक्रधरम् देवम् कृष्णम् वन्दे जगद्गुरुम् ॥८॥
कृष्णाष्टकमिदम् पुण्यम् प्रातरुत्थाय यः पठेत् ।
कोटिजन्मकृतम् पापम् स्मरणेन विनश्यति ॥