दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गये
Saturday, 5 January 2013
साहित्य - हसन कमाल
संगीत - रवि
चित्रपट - निकाह
गायन - सल्मा अाघा
दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गये ।
हम वफ़ा करके भी तनहा रह गये ॥
ज़िंदगी एक प्यास बनकर रह गयी ।
प्यार के क़िस्से अधूरे रह गये ॥१॥
शायद उनका आख़्ररी हो यह सितम ।
हर सितम यह सोचकर हम सह गये ॥२॥
ख़ुद को भी हमने मिटा डाला मगर ।
फ़ासले जो दरमियाँ थे रह गये ॥३॥
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