Pages

दिल की ये आरज़ू थी कोई दिलरुबा मिले

Saturday, 5 January 2013

साहित्य - हसन कमाल
संगीत - रवि
चित्रपट-निकाह
गायन - महेन्द्र कपूर, सल्मा आघा


म: दिल की यह आरज़ू थी कोई दिलरुबा मिले
लो बन गया नसीब के तुम हम से आ मिले

स: देखें हमें नसीब से अब, अपने क्या मिले
अब तक तो जो भी दोस्त मिले, बेवफ़ा मिले

म: आँखों को एक इशारे की ज़हमत तो दीजिये
कदमों में दिल बिछादूँ इजाज़त तो दीजिये
ग़म को गले लगालूँ जो ग़म आप का मिले
दिल की यह आरज़ू थी कोई दिलरुबा मिले

स: हम ने उदासियों में गुज़ारी है ज़िन्दगी
लगता है डर फ़रेब-ए-वफ़ा से कभी कभी
ऐसा न हो कि ज़ख़्म कोई फिर नया मिले
अब तक तो जो भी दोस्त मिले बेवफ़ा मिले

म: कल तुम जुदा हुए थे जहाँ साथ छोड़ कर
हम आज तक खड़े हैं उसी दिल के मोड़ पर
हम को इस इन्तज़ार का कुछ तो सिलह मिले
दिल की यह आरज़ू थी कोई दिलरुबा मिले

स: देखें हमें नसीब से अब, अपने क्या मिले
अब तक तो जो भी दोस्त मिले, बेवफ़ा मिले

Read more...

फ़ज़ा भी है जवाँ जवाँ

साहित्य - हसन कमाल
संगीत - रवि
चित्रपट-निकाह


फ़ज़ा भी है जवाँ जवाँ, हवा भी है रवाँ रवाँ ।
सुना रहा है ये समा सुनी सुनी सी दास्ताँ ॥

पुकारते हैं दूर से, वो क़ाफ़िले बहार के ।
बिखर गये हैं रंग से, किसीके इन्तज़ार के ।
लहर लहर के होंठ पर, वफ़ा की हैं कहानियाँ ॥१॥

बुझी मगर बुझी नहीं, न जाने कैसी प्यास है ।
क़रार दिल से आज भी न दूर है न पास है ।
ये खेल धूप छाँव का, ये कुर्बतें ये दूरियाँ ॥२॥

हर एक पल को ढूँढता, हर एक पल चला गया ।
हर एक पल फ़िराक़ का, हर एक पल विसाल का ।
हर एक पल गुज़र गया, बनाके दिल पे इक निशाँ ॥३॥

वही घड़ी वही पहर, वही हवा वही लहर ।
नई हैं मंज़िलें मगर, वही डगर वही सफ़र ।
नज़र गई जिधर जिधर, मिली वही निशानियाँ ॥४॥

Read more...

बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी

साहित्य - हसन कमाल
संगीत - रवि
चित्रपट-निकाह


अभी अलविदा मत कहो दोस्तों
न जाने फिर कहाँ मुलाक़ात हो
क्योंकि ...

बीते हुए लम्हों की कसक साथ तो होगी ।
ख़्वाबों में ही हो चाहे मुलाक़ात तो होगी ॥

यह प्यार मे डूबी हुयी रँगीन फ़ज़ायें ।
यह चहरें यह नज़रें यह जवाँ रुत यह हवायें ।
हम जाये कहीं इनकी महक साथ तो होगी ॥१॥

फूलों की तरह दिल में बसाये हुए रखना ।
यादों के चिराग़ों को जलाये हुए रखना ।
लम्बा है सफ़र इस में कहीं रात तो होगी ॥२॥

यह साथ गुज़ारे हुए लम्हात की दौलत ।
जज़्बात की दौलत यह ख़यालात की दौलत ।
कुछ पास न हो पास यह सौग़ात तो होगी ॥३॥

Read more...

दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गये

साहित्य - हसन कमाल
संगीत - रवि
चित्रपट - निकाह
गायन - सल्मा अाघा


दिल के अरमाँ आँसुओं में बह गये ।
हम वफ़ा करके भी तनहा रह गये ॥

ज़िंदगी एक प्यास बनकर रह गयी ।
प्यार के क़िस्से अधूरे रह गये ॥१॥

शायद उनका आख़्ररी हो यह सितम ।
हर सितम यह सोचकर हम सह गये ॥२॥

ख़ुद को भी हमने मिटा डाला मगर ।
फ़ासले जो दरमियाँ थे रह गये ॥३॥

Read more...

ದೀಪವು ನಿನ್ನದೆ ಗಾಳಿಯು ನಿನ್ನದೆ

Wednesday, 2 January 2013

ಸಾಹಿತ್ಯ - ಕೆ.ಎಸ್.ನರಸಿಂಹಸ್ವಾಮಿ
ಸಂಕಲನ - ಮೈಸೂರು ಮಲ್ಲಿಗೆ
ಸಂಗೀತ - ಸಿ.ಅಶ್ವಥ್
ಆಧಾರಿತ ರಾಗ - ದಿನ್-ಕಿ-ಪೂರಿಯಾ


ದೀಪವೂ ನಿನ್ನದೆ ಗಾಳಿಯೂ ನಿನ್ನದೆ, ಆರದಿರಲಿ ಬೆಳಕು।
ಕಡಲೂ ನಿನ್ನದೆ ಹಡಗೂ ನಿನ್ನದೆ, ಮುಳುಗದಿರಲಿ ಬದುಕು ॥

ಬೆಟ್ಟವೂ ನಿನ್ನದೆ ಬಯಲೂ ನಿನ್ನದೆ, ಹಬ್ಬಿ ನಗಲಿ ಪ್ರೀತಿ ।
ನೆಳಲೋ ಬಿಸಿಲೋ, ಎಲ್ಲವೂ ನಿನ್ನದೆ, ಇರಲಿ ಏಕರೀತಿ ॥೧॥

ಆಗೊಂದು ಸಿಡಿಲು ಈಗೊಂದು ಮುಗಿಲು, ನಿನಗೆ ಅಲಂಕಾರ ।
ಅಲ್ಲೊಂದು ಹಕ್ಕಿ ಇಲ್ಲೊಂದು ಮುಗುಳು, ನಿನಗೆ ನಮಸ್ಕಾರ ॥೨॥

ಅಲ್ಲಿ ರಣದುಂದುಭಿ, ಇಲ್ಲೊಂದು ವೀಣೆ, ನಿನ್ನ ಪ್ರತಿಧ್ವನಿ ।
ಆ ಮಹಾಕಾವ್ಯ, ಈ ಭಾವಗೀತೆ, ನಿನ್ನ ಪದಧ್ವನಿ ॥೩॥

Read more...

Popular Posts