वृंदावनी सारंग - तुम रब तुम साहेब
Thursday, 13 September 2012
रचना - तानसेन
राग - वृंदावनी सारंग
ताल - विलंबित झपताल/सूलताल
स्थायी
तुम रब तुम साहेब
तुम ही करतार
घटा-घटा पूरन
जल-थल भर भार ॥
अंतरा
तुम ही रहीम
तुम ही करीम
गावत गुनी-गंधर्व
सुर-नर सुर-नार ॥१॥
तुम ही पूरन ब्रह्म
तुम ही अचल
तुम ही जगत गुरु
तुम ही सरकार ॥२॥
कहे मियाँ तानसेन
तुम ही आप
तुम ही करत सकल
जग को भव पार ॥३॥
0 comments:
Post a Comment