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रिम-झिम गिरे सावन

Thursday, 5 January 2012

साहित्य-योगेश
चित्रपट-मन्ज़िल (1979)
संगीत-राहुल देव बर्मन


रिम-झिम गिरे सावन
सुलग सुलग जाए मन 
भीगे आज इस मौसम में,
लगी कैसी ये अगन ॥

(लता मंगेशकर)
पहले भी यूँ तो बरसे थे बादल,
पहले भी यूँ तो भीगा था आंचल
अब के बरस क्यूँ सजन ॥१॥

इस बार सावन दहका हुआ है, 

इस बार मौसम बहका हुआ है
जाने पीके चली क्या पवन ॥२॥



(किशोर कुमार)
जब घुंघरुओं सी बजती हैं बूंदे,
अरमाँ हमारे पलके न मूंदे 

कैसे देखे सपने नयन ॥१॥

महफ़िल में कैसे कह दें किसी से, 

दिल बंध रहा है किस अजनबी से
हाय करे अब क्या जतन ॥२॥

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