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ये क्या जगह है दोस्तों

Tuesday, 5 July 2011

साहित्य - शह्र्यार
चित्रपट-उम्राओ जाँ
संगीत - ख़य्याम
गायन - आशा भोंसले


यह क्या जगह है दोस्तों, यह कौन सा दयार है ।
हद-ए-निगाह तक जहां, ग़ुबार ही ग़ुबार है ॥

ये किस मुक़ाम पर हयात मुझको लेके आ गई ।
ना बस खुशी पे है जहां, ना ग़म पे इख्तियार है ॥१॥

तमाम उम्र का हिसाब मांगती है ज़िन्दगी ।
ये मेरा दिल कहे तो क्या, के खुद से शर्मसार है ॥२॥

बुला रहा है कौन मुझको चिलमनों के उस तरफ़ ।
मेरे लिये भी क्या कोई उदास बेक़रार है ॥३॥

न जिसकी शक़ल है कोई, न जिसका नाम है कोई ।
एक ऐसी शै का क्यों हमें अज़ल से इन्तज़ार है ॥४॥

दयार=region/boundary
हद-ए-निगाह=limits of sight
ग़ुबार=dust-storm
मुक़ाम=situation, milestone
हयात=life
इख्तियार=power, control
शर्मसार=shameful
चिलमन=blinds/curtains made of reed
बेक़रार=anxious
शै=चीज़, Object
अज़ल=beginning of creation

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